चंडीगढ़, 06 फरवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश के सरकारी स्कूलों को बंद करने का षड्यंत्र रच रही है। गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाएं, इसलिए सरकारी स्कूलों में न स्टाफ नियुक्त किया जा रहा है, न ही जरूरी संसाधनों का इंतजाम किया जा रहा है। कितने ही स्कूलों में तो आज तक पेयजल व शौचालय तक नहीं हैं जबकि, एचकेआरएन से भर्ती कर ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में ताजा पेश शपथ पत्र में राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि पीजीटी व टीजीटी के 27878 पद खाली पड़े हैं। इतने पद खाली होने का खामियाजा इनमें पढने वाले छात्रों को ही भुगतना पड़ता है। साथ ही स्वीकार किया है कि एचकेआरएन के जरिए 3915 टीजीटी व 418 पीजीटी की भर्ती की गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह भर्ती पूरी तरह से अवैध है। यह भर्ती किस तरीके से की गई, क्या नियमावली अपनाई गई, चयन करने का आधार क्या रहा, इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है। अपनी गलती को सुधारने की बजाए हरियाणा कौशल रोजगार निगम के जरिए ठेके पर फिर से शिक्षकों की भर्ती करना चाह रही है। जबकि, प्रदेश में दो-दो भर्ती आयोग पहले से कार्यरत हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि चार साल के अंदर करीब 500 स्कूलों को बंद करने के बाद अब 20 या इससे कम संख्या वाले 1076 सरकारी स्कूलों को मर्ज करने के नाम पर बंद करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। एजुकेशन रिपोर्ट ‘असर’ से खुलासा होता है कि ग्रामीण एरिया के सरकारी स्कूलों की हालत तो अत्यंत दयनीय है। 28 फीसदी स्कूलों में टॉयलेट इस्तेमाल के लायक ही नहीं हैं, जबकि 9 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में पीने के पानी तक का इंतजाम नहीं है। 17.3 प्रतिशत स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है, तो 74.8 प्रतिशत स्कूलों में छोटे बच्चों के सीखने के लिए कंप्यूटर्स की सुविधा भी नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की कमी के कारण छात्र अब पेड ट्यूशन के भरोसे हैं। जब सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग सही नहीं होंगी, पेयजल-शौचालय और शिक्षक तक का इंतजाम नहीं होगा तो लोग बच्चों को इनमें दाखिला दिलाना बंद कर देंगे। अनुसूचित जाति से आने वाले पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों को दी जाने वाली प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति को भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पहले ही बंद कर चुकी है।