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भ्र्ष्टाचार की जांच के लिए एक क़दम भी नहीं उठा पाई कांग्रेस सरकार- भूपेंद्र

सरकाघाट। प्रदेश में भाजपा की जगह कांग्रेस की सरकार बने हुए एक वर्ष हो गया जिसका जशन सरकार धर्मशाला में मना रही है।बदलाव का ये जश्न सबसे ज्यादा गत वर्ष धर्मपुर में बनाया गया था क्यूंकि इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले 32 साल की सत्ता व यहाँ स्थापित एक परिवार की तानाशाही और भ्र्ष्टाचार को उखड़ना प्रदेश में बहुत बड़ी उपलब्धि थी।जबकि मंडी ज़िला की अन्य सभी  सीटें कांग्रेस पार्टी नहीं जीत पाई थी और धर्मपुर सीट ही जीती थी कियूंकि यहां वे सभी लोग और संगठन एकजुट हुए थे जो इस तानाशाही को उखड़ना चाहते थे।

इस परिवर्तन को लाने के लिए धर्मपुर में कायम हुई विपक्ष की एकता और यहाँ की जनता द्धारा अपने अपने स्तर पर इस चुनाव में काम व मेहनत करने का परिणाम था।ये बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता व पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने सरकार का एक साल  पूरा होने पर कही है।उन्होंने कहा कि धर्मपुर में हुए इस बदलाव के बारे में उस समय प्रदेश में ये विश्वास नहीं हो रहा था कि ये सब कैसे संभव हुआ है।इस बदलाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना उम्मीदवार खड़ा न करके अहम भूमिका निभाई थी जिससे विपक्ष का वोट विभाजित नहीं हुआ और मतदाताओं में  शुरू से विश्वास कायम हो गया कि इस बार परिवर्तन संभव है। लेक़िन इस बदलाव के बाद जो उम्मीद जताई जा रही थी कि नई सरकार यहां पर पूर्व मंत्री के समय हुए भ्र्ष्टाचार और सरकारी पैसे की बंदरबांट की जांच ये सरकार सबसे पहले करवायेगी और सारे काले चिठ्ठे जनता के सामने आयेंगे। लेक़िन गुज़रे एक साल में इस दिशा में एक भी कार्यवाई सरकार व विधायक नहीं करवा पाये हैं। यही नहीं बहुत से विकास के काम जो पूर्व विधायक के समय शुरू हुए थे और जो अधूरे पड़े हैं उन्हें पूरा कैसे और कब किया जायेगा इस दिशा में भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। गाहे बगाहे यहां के विधायक मीडिया में ये ब्यान देते रहते हैं कि ये सारे काम बिना बजट के ही शुरू करवा दिए गए थे जो अब वहीं पर रुक गए हैं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने उनसे इस बारे श्वेत पत्र जारी करने की मांग की थी ताकि ये पता चल सके कि कितना ओवरड्राफ्ट और देनदारियां पिछली सरकार के समय की हैं लेकिन वे अभी तक ये जानकारी भी यहां के लोगों को नहीं दे पाए हैं।दूसरी तरफ वे सभी काम पिछले एक साल से जैसे के वैसे खड़े हुए हैं।जिससे अब उनके प्रति नाराज़गी पैदा होना शुरू हो गई है।हालांकि सरकार की वित्तीय स्थिति और बरसात में हुई त्रासदी के कारण भी कार्य प्रभावित हुए हैं लेकिन बाबजूद इसके अब एक साल का समय पूरा होने पर इन कार्यों को पूरा करने के लिए उन्हें काम करना होगा। दूसरी तरफ यहाँ पर गत पांच वर्षों में हुए भ्र्ष्टाचार पर अब ऊपर से नीचे तक सबने चुप्पी साध ली है जिससे किसी राजनैतिक सांठ गांठ की ही बू आती दिख रही है। इसके अलावा इस विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में भी इस एक साल में कोई सुधार नहीं हो पाया है और संधोल में तो महिलाओं ने आंदोलन शुरू किया हुआ है जिसे हल करने में सत्ताधारी दल नाकाम रहा है। बसों की स्थिति में सुधार होने के बजाए गिरावट आई है और मनमर्ज़ी के हिसाब से कभी भी कोई भी बस रूट कैंसिल कर दिया जाता है और पूछने वाला कोई नहीं है।शिवा बागवानी कलस्टर योजना भी अधर में लटक गई है और जिन बगीचों में फल आना शुरू हो गए हैं उनके लिए मार्केट सुविधा उपलब्ध नहीं है और जो अधूरे क्लस्टर वहीं के वहीं हैं।पेयजलापूर्ति और सिंचाई योजना की पाइपें हरजगह पड़ी हैं जो ज़रूरत से ज़्यादा ख़रीदी गयी हैं लेकिन इनके बारे में कोई बात नहीं हो रही है।लोकनिर्माण विभाग में भी नई कोई सड़क व अन्य निर्माण कार्य शुरू नहीं हुए हैं।कृषि व बगवानी विभाग में खाली पदों पर कर्मचारी नियुक्त नहीं हो पाए हैं।संधोल में एसडीएम कार्यालय और टिहरा में  पूर्ण तहसील व कोई शिक्षण संस्थान खोलने की दिशा में भी कोई काम गत वर्ष में नहीं हो पाया है।

मनरेगा योजना के तहत मज़दूरों को काम निर्धारित समय में नहीं मिल रहा है और आजकल वर्षा से हुए नुकसान के पुनर्निर्माण के बजाए भूमि सुधार का काम हो रहा है।क्रशर बन्द होने के कारण सारे सरकारी और गैर सरकारी काम ठप्प हो गए हैं।राष्ट्रीय उच्च मार्ग अवाहदेवी-सरकाघाट-पाड़छु में कंपनी की मनमर्ज़ी के कारण जनता परेशान हैं।आपदा प्रभावितों को ज़रूरत के अनुसार सहायता नहीं मिल रही है। भाजपा की तर्ज़ पर ही अब कांग्रेस पार्टी वाले ठेकों की बंदरबांट कर रहे हैं।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सबसे हैरानी की बात तो ये है कि जिनके कारण वे चुनाव जीते हैं वे अब उन्हीं के बारे ने सार्वजिक तौर पर कटाक्ष करने लग गए हैं कि ये लाल झंडा नहीं चलेगा।

माकपा के नेता ने उनसे पूछा है कि उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि आज जो भी वे हैं इसी लाल झंडे के कारण हैं। वे पैदा भी लाल झंडे में हुए हैं और आज जो भी है वह भी इसी झंडे के कारण है। इसलिए माकपा उन्हें सलाह व चेतावनी देना चाहती है कि वे धर्मपुर की जनता के विकास के लिए काम करें और जो अपेक्षा उनसे यहां की जनता को है उस पर खरा उतरें ताकि जो भाजपा को हराने का राजनैतिक  मॉडल यहां बना उसे राज्य स्तर पर भी कायम किया जा सके। वैसे भी अभी उन्हें चार साल और निकालने हैं और उन्हें अपने इन बचकाने बयानों के लिए पछतावा न करना पड़े। देश की राजनैतिक परिस्थिति और प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी हालात सरकार की एक साल की उपलब्धि जनता को उत्साहित करने वाली नहीं है और यदि विधायक की बोलचाल और व्यवहार ऐसा ही रहा तो पहला परिणाम चार माह बाद लोकसभा चुनाव में सामने आ जायेगा।

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