सरकाघाट। प्रदेश में बनी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने आते ही सबसे पहले मनरेगा मज़दूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से बाहर करने का फ़ैसला गत 12 दिसंबर को लिया है साढ़े चार लाख मज़दूरों के पिछले तीन साल के पांच सौ करोड़ रुपये के लाभ भी रोक दिए हैं। हालांकि इन्हें जारी करने के लिए बोर्ड की पिछली दो बैठकों में निर्णय होने के बाद भी इन्हें जारी नहीं किया जा रहा है।बोर्ड में मजदूरों का पंजीकरण और नवीनीकरण तथा सहायता संबंधी आवेदन पत्र भी जमा नहीं हो रहे हैं।सीटू से सबंधित सरकार और बोर्ड के इस मज़दूर विरोधी निर्णय के ख़िलाफ़ 7 अक्टूबर को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी जिसके चलते बोर्ड कार्यालयों का घेराव किया जाएगा।
सीटू के ज़िला अध्य्क्ष व राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के सदस्य भूपेंद्र सिंह महासचिव राजेश शर्मा ने बताया कि सरकाघाट, सुंदरनगर, जोगिन्दरनगर, थुनाग स्थित बोर्ड के उप कार्यालयों तथा मंडी स्थित ज़िला श्रम कल्याण अधिकारी का घेराव किया जायेगा।जिसका नेतृत्व सरकाघाट में भूपेंद्र सिंह, सुन्दरनगर में गुरदास वर्मा, जोगिंदर नगर में रविकांत थुनाग में महेंद्र राणा तथा मंडी में राजेश शर्मा व गोपेन्द्र कुमार करेंगे।भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार के इस फ़ैसले के कारण मज़दूरों के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृति, विवाह शादी, चिकित्सा, पेंशन के अलावा मृत्यु होने पर मिलने वाली सहायता भी बन्द कर दी है है जो वास्तव में भवन एवं अन्य निर्माण कामगार क़ानून 1996 की उलंघन्ना है।
भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अगले सप्ताह होने वाली बोर्ड की बैठक में भी लंबित लाभ जारी करने तथा रुका हुआ काम बहाल करने बारे फ़ैसला नहीं किया जाता है तो सभी मज़दूर यूनियनें इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करेगी।इसलिये उन्होंने प्रदेश में बनी तथाकथित व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार को मज़दूरों के छीने हक बहाल करके व्यवस्था सुधारने की मांग की है अन्यथा मज़दूर उन्हें लोकसभा चुनावों में सबक सिखाने के लिए अभियान शुरू कर देंगे।