सरकाघाट। पिछले 26 दिनों से संधोल में चल रहे महिलाओँ का आंदोलन स्थानीय विधायक चंद्रशेखर की मध्यस्थता के बाद आज खत्म हो गया। करीब एक माह से ज्ञापन, प्रदर्शन ओर क्रमिक अनशन का चला दौर आखिर स्थानीय विधायक के आने पर फिलहाल खत्म हो गया। विधायक चंद्रशेखर ने बताया कि इसी सप्ताह अल्ट्रासाउंड मशीन को नए अस्पताल में स्थापित किया जाएगा और अगले माह से महीने के दो दिन संधोल में अल्ट्रासाउंड होना शुरू हो जाएंगे। उन्होंने बताया उनकी जो भी स्वास्थ्य सेवाओ से जुड़ीं मांगे है उसको अगले सौ दिनो के भीतर पूरा करने का आश्वासन भी दिया गया है।
पहले दौर की बैठक स्थानीय विश्राम गृह में हुई जिसमें सारा एजेंडा तय हुआ उसके बाद ही स्थानीय विधायक 26 दिनों से आंदोलन कर रहीं महिलाओं के मंच पर जाकर मिले जंहा उन्होंने ये सब घोषणाएं की। उन्होंने बताया कि फिलहाल महीने के 2 दिन यंहा रेडियोलॉजिस्ट भेजा जाएगा उसी ही दिन महिला विशेज्ञ भी यंहा रहेंगी उन्होंने बताया कि अस्पताल का शेष कार्य भी शीघ पूरा होगा।
उधर राजनीति से दूर किये इस आंदोलन में दिलचस्प बात तब हुई जब विधायक के आने के बाद अचानक से प्रकट हुए कार्यकर्ता जब उनके साथ पहुंचे तो इस आंदोलन को लीड कर रही पूनम ठाकुर ने विधायक के सामने ही उनके समर्थकों को वँहा से दूर जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि महिलाएं सब की समस्याओं के लिए संघर्ष कर रहीं थीं लेक़िन इन समर्थकों ने उन्हें भला बुरा तो कहा ही साथ मे इस आंदोलन को कमजोर करने की भी बहुत कोशिश की इसलिए वो इन लोंगो लप यंहा देखना भी पसंद नही करतीं। इसके बाद वहां जमे कार्यकर्ताओं ने वहां से दबे पाओं निकल गए और विधायक ने भी उन्हें दूर खड़े होने की नसीहत दी।
बहराल एक माह से महिलाओं ने अपने आन्दोलन को 3 माह तक स्थगित करने की घोषणा कर दी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि हमारे विधायक सबसे अलग हैं कार्यशैली भी अलग है ऐसे में उम्मीद की जानी भी चाहिए कि ये सब मांगे आने वाले समय मे पूरी होंगी। उन्होंने आश्वस्त भी किया अगर मांगे पूरी नही हुई और ठप पड़े विकास कार्यों को शीघ्र पूरा नही किया तो ये आन्दोलन नए प्रारूप से और भी ज्यादा व्यापक होगा।
उधर, पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने संधोल में 25 दिनों से आंदोलन कर रही मातृ शक्ति को सफ़ल औऱ शांतिपूर्ण आंदोलन संचालित करने और आज विधायक के साथ हुए समझौते पर बधाई दी है। इन महिलाओं ने आज स्थानीय कांग्रेस नेताओं को अपने धरना स्थल पर न आने की भी शर्त रखी थी क्यूंकि उनका इस आंदोलन के प्रति नकारात्मक नज़रिया था और वे विधायक को भी यहां आने के लिए रोक रहे थे लेकिन आज ये भी साबित हो गया कि जनता में और विशेष तौर पर महिलाओं ने उन्हें वहां आने के लिए मजबूर किया और आखिरकार उन्हें वहां आना पड़ा और उनकी मांगों बारे समझौता करना पड़ा। इसके लिए सभी महिलाएं बधाई की पात्र हैं।