केलंग। आईआईटी मंडी की टीम भुगर्वीय सर्वेक्षण करने लिंडूर पहुंच गई है। दरकते लिंडूर गांव को बचाने के लिए लाहुल स्पीति प्रशासन ने आईआईटी मंडी के साथ समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। जबकि, जीओलॉजिकल सर्वे के लिए प्रशासन ने आईआईटी मंडी को अग्रिम भुगतान भी कर दिया है। लिंडूर गांव के भुगर्वीय सर्वेक्षण के लिए आईआईटी की विशेषज्ञ टीम के गांव पहुंचने से ग्रामीणों को समस्या में स्थाई समाधान की उम्मीद जगी है। एनएचपीसी (NHPC) की जीओलॉजिकल टीम भी गांव का दौरा कर लौटी है। आईआईटी की विशेषज्ञ टीम लगभग तीन महीने गांव में हर पहलू को ध्यान में रखकर रिपोर्ट तैयार कर लाहुल स्पीति प्रशासन को सौंपेगी।
टीम तीन महीने गांव में होने वाली हर हरकत का ध्यान रखेगी। जून महीने में पहली बार लिंडूर गांव में दरारों को देखा गया। यह दरारें अब खेतों से आगे बढ़ कर घरों तक पहुंच गई है। जिस कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। दरारों के कारण गांव में करीब 10 घरों को नुकसान पहुंचा है जिनमे से एक घर मे गहरी दरारें पड़ गई है। टीम के पहुंचने से ग्रमीणों के चेहरे में आशा की किरण साफ दिख रही है।
उपायुक्त लाहुल स्पीति राहुल कुमार ने बताया कि लिंडूर गांव में जीओलॉजिकल सर्वे के लिए आईआईटी मंडी की टीम पहुंच गई है। प्रशासन ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। भुगर्वीय सर्वे के लिए प्रशासन ने आईआईटी मंडी को अग्रिम भुगतान भी कर दिया है। जल विद्युत परियोजनाओं के विशेषज्ञ टीम को भी गांव का भुगर्वीय सर्वेक्षण कर गई है। जहालमा नाले में बाढ़ नियन्त्रिकर्ण के लिए 23 करोड़ रुपये का डीपीआर बना कर राष्ट्रीय आपदा राहत कोष को भेजा गया है। उससे भी गांव को बहुत राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि आईआईटी की टीम जयोलॉजिकल मैपिंग, ड्रिप स्ट्राइक मेजरमेंट, ड्रोन फ़ोटोग्राफी, ग्लेशियर स्टडी, क्रैक मेजरमेंट व ओरिएंटेशन स्टडी जैसे विषय पर शोध कर प्रशासन को रिपोर्ट देंगे।