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मनरेगा में भूमि सुधार बजाये टूटे रास्तों के निर्माण दो प्रथमिकतक-भूपेंद्र

बरसात में भारी बारिश के कारण गांवों में टूटे रास्तों घरों के आसपास गिरे लहासों के पुनःनिर्माण का कार्य धर्मपुर विकास खण्ड में शुरू नहीं हो पा रहा है जिसका मुख्य कारण रेत बजरी न मिलना है।हालांकि लंबे अरसे बाद आजकल मनरेगा के तहत मस्ट्रोल शुरू हो गए हैं लेक़िन ज़्यादा काम व्यक्तिगत किस्म के हो रहे हैं जिनमें सीमेंट, रेत बजरी इत्यादि सबंधित कार्य करवाने वाले परिवार को ही स्वयं क्रय करने पड़ रहे हैं। दूसरा जो निर्माण कार्य सबसे पहले शुरू होने थे वे न होकर भूमि सुधार और कच्चे किस्म के काम करवाने के मस्ट्रोल जारी किया गये हैं। इस बारे पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कहा कि एक तरफ़ प्राकृतिक आपदा ने सब कुछ तहस नहस कर दिया है तो वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार ने स्टोन क्रशर बन्द करके इस समस्या को और बढ़ा दिया है।सरकार ने बिना किसी विकल्प के स्टोन क्रशर रातों रात बन्द कर दिए जिससे धर्मपुर में सारे निर्माण कार्य बन्द पड़े हैं लेकिन सरकार उदासीन बनी हुई है। जिसकी पूर्व ज़िला पार्षद व माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कड़े शब्दों में निंदा की है।उन्होंने कहा कि सभी विभागीय निर्माण कार्य तथा निजी रिहायशी मकानों सबंधित कार्य रेत, बजरी और अन्य सामग्री न मिलने के कारण ठप्प हो पड़े हैं।सरकार ने पिछले दिनों स्टोन क्रशरों के मूल्यांकन के लिए टीमें भेजी थी और उसके बाद भी अभी तक रेत बजरी उपलब्ध नहीं हो रहा है और क्रशर भी बन्द पड़े हैं। जो कुछ काम चल भी रहे हैं उन्हें दो तीन गुणा अधिक दामों पर रेत बजरी मंगवाना पड़ रहा है।भपेंद्र सिंह ने कहा कि जुलाई और अगस्त में हुई भारी बारिश और उसके कारण आयी बाढ़ के कारण इन स्टोन क्रशरों को बताया गया था जो सही नहीं है।लेकिन दूसरी तरफ बरसात के कारण जो नुक़सान हुआ है जिसमें सैंकड़ों रास्ते,डंगे, डंगे,मकान, गौशालाएं इत्यादि ढह गये हैं उनका पुनःनिर्माण कार्य करने में अब बहुत ज्यादा समस्या खड़ी हो गई है।सरकार ने टूटे रास्ते बनाने के लिए मनरेगा के तहत कार्य करवाने का फ़ैसला किया है उसके लिए मनरेगा सेल्फ़ को संशोधित करके पंचायतों को जारी कर दिया है।लेकिन इसके निर्माण कार्य में जो रेत, बजरी, बोल्डर इत्यादि लगने हैं वे अब उपलब्ध नहीं हो रहे हैं कियूंकि स्टोन क्रशर बन्द कर दिए गए हैं।इस कारण कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो रहे हैं।यही नहीं सरकार ने प्रभावित परिवारों को अपने घरों के आसपास गिरे डंगे ख़ुद लगाने के लिए बोला जा रहा है लेकिन उन्हें ये सारी सामग्री दोगुने रेट पर मिल रही है ।यही नहीं स्टोन क्रशरों पर मजदूरी करने वाले और टेंपो,ट्रॉलियों औऱ टीपर वालों को जो ये सामग्री लोगों और पँचायतो को सप्लाई करते हैं उन्हें भी भारी नुक़सान हो रहा।मजबूरी में लोगों को अपने मकानों का निर्माण कार्य रोकना पड़ रहा है।यही नहीं कई जगह अवैध रूप में खड्डों, नालों औऱ नदी किनारों से ये सामग्री रात के अंधेरे में निकली जा रही है जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुक़सान भी उठाना पड़ रहा है।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ये सभी क्रशर सरकार के नियमों के अनुसार लगे थे और अब उन्हें बाढ़ के जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जो सही नहीं है।इसलिये सरकार को जल्द इन्हें शुरू कर देना चाहिए और गांवों में टूटे रास्तों घरों के आसपास सुरक्षा दीवारें लगाने के काम को प्राथमिकता पर करना चाहिए।

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