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Manipur Violence: मणिपुर में एक बार फिर हुआ बवाल, भीड़ ने पुलिस ऑफिस को घेरने की करी कोशिश, चली कई राउंड गोल‍ियां - badhteqadam
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Manipur Violence: मणिपुर में एक बार फिर हुआ बवाल, भीड़ ने पुलिस ऑफिस को घेरने की करी कोशिश, चली कई राउंड गोल‍ियां

मण‍िपुर में पिछले कई महीनो से चल रही हिंसा रुकने का नाम ही नहीं ले रही बल्कि बढ़ती ही जा रही हैं। अब मणिपुर में एक बार फ‍िर से बवाल शुरू हो गया है।  जिससे राज्य में हिंसा बढ़ रही हैं। राज्‍य इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिले में ‘लॉ एंड ऑर्डर’ की स्‍थ‍ित‍ि बिलकुल भी ठीक नहीं है। इसको देखते हुए अब दै‍न‍िक कर्फ्यू में सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक दी जा रही ढील को वापस ले ली गई हैं। दरअसल, भीड़ ने बुधवार (1 नवंबर) को मणिपुर पुलिस कार्यालय परिसर को घेरने की कोशिश की। भीड़ को इधर-उधर करने के ल‍िए पुल‍िस द्वारा हवा में कई राउंड फायरिंग भी की गई। ताकि, लोगों की भीड़ को कम किया जा सके।

समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, प्रशासन द्वारा जारी किए गए आदेशों के तहत सरकार ने कानून और व्यवस्था की स्‍थ‍ित‍ि को बनाए रखने के ल‍िए कर्फ्यू की ढील को समाप्‍त क‍र द‍िया गया है। यह निर्णय एक समूह द्वारा इंफाल पश्चिम जिले स्‍थ‍ित राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के नजदीक फर्स्‍ट मणिपुर राइफल्स कॉम्प्लेक्स को घेरने की कोश‍िशों को करने के बाद ल‍िया गया है और राज्य में स्थिति नियंत्रित करने के लिए किया गया।

मण‍िपुर की राजधानी इंफाल में उस समय तनाव पैदा हुआ, जब मंगलवार (31 अक्‍टूबर) को सुबह के वक्‍त मोरेह शहर में एक ऑन-ड्यूटी सब-ड‍िव‍िजनल पुलिस अधिकारी (SDPO) की आदिवासी उग्रवादियों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। वही, दूसरी घटना में उग्रवादियों द्वारा मंगलवार (31 अक्‍टूबर) दोपहर टेंग्नौपाल जिले के सिनम में राज्य बल के एक काफिले पर घात लगाकर हमला कर द‍िया था। वही, उग्रवादियों द्वारा किए गए इस हमले में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

आपको बता दें कि मणिपुर में इस साल मई में जातीय झड़प शुरू हुई थी। इस घटना केबाद से ही राज्‍य हिंसा की चपेट में आ गया है। तब से अब तक मणिपुर में हिंसा के कारण 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वही, राज्‍य में ह‍िंसा शुरू होने की मुख्‍य कारण मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला रहा। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या करीब 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, मुख्‍य रूप से पहाड़ी ज‍िलों में रहने वाले आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं। उनकी आबादी करीब 40 फीसदी है। इसके कारण राज्य में हिंसा अब तक जारी हैं इस हिंसा के दौरान नागरिकों समेत राज्य को भी काफी नुक्सान हुआ हैं।  

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