मनाली। अंतरराष्ट्रीय दशहरे की शान बढ़ाने को मनाली घाटी की आराध्यदेवी एवं कुल्लू राजवंश की दादी माता हिडिंबा दैवीय शक्तियों संग अपने सीमित कारकूनों व देवलुओं सहित कुल्लू रवाना हो गई। माता के मंदिर परिसर ढूंगरी से पीडब्ल्यूडी कार्यालय तक श्रद्धालुओं ने माता हिडिंबा से सुख व समृद्धि का आशीर्वाद लिया। भक्तों ने जगह-जगह माता का स्वागत किया। तीन चार स्थानों में माता के भक्तों ने देवलुओं कारकूनों को प्रसाद भी बांटा। सोमवार सुबह ही माता हिडिंबा का ढुंगरी प्रांगण देव वाद्य यंत्रों की धुन से गूंज उठा। कारकून व देवलू माल रोड होते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग के कैंपस में पहुंचे। माता ने ढुंगरी और मनाली बाजार के दुर्गा मंदिर प्रांगण में गूर के माध्यम से दशहरे में सब कुछ ठीक रहने की बात कही।
इस बार दशहरा पर्व मनाली के लिए खुशियां लेकर आया है। बरसात में हुई त्रासदी के बाद यहां सब सुनसान था लेकिन अब दशहरा पर्व सभी के लिए खुशियां लेकर आया है। माता हिडिंबा के माल रोड पहुंचते ही लोगों सहित सैंकड़ों पर्यटकों ने भी इन लम्हों को कैमरे में कैद किया।पीडब्ल्यूडी विभाग मनाली की ओर से प्रांगण में पहुंचने पर माता हिडिंबा का जोरदार स्वागत किया गया। विभाग ने माता के स्वागत के साथ-साथ श्रद्धालुओं व कारकूनों के लिए प्रसाद की व्यवस्था भी की। लोक निर्माण विभाग 1976 से माता के दशहरे में जाने के दौरान श्रद्धालुओं को प्रसाद व जलपान ग्रहण करवाता रहा है। लोक निर्माण विभाग मनाली के अधिशाषी अभियंता अनूप शर्मा, एसडीओ व जेई संजीव शर्मा ने माता हिडिंबा का स्वागत किया और सुख समृद्धि का आशीर्वाद लिया।
माता के पहुंचने पर ही होती है दशहरा की शुरुआत
माता हिडिंबा के कारदार रघुवीर नेगी, पुजारी रमन शर्मा व गुर देवी सिंह ने बताया दशहरा उत्सव की शुरूआत माता हिडिंबा की उपस्थिति में ही होती है।उन्होंने बताया कि माता हिडिंबा के कारकुन प्राचीनकाल से चली आ रही परंपरा के अनुसार माता सहित रात्रि विश्राम रामशिला में करेंगी। मंगलवार सुबह भगवान रगुनाथ के छड़ी माता हिडिंबा को लेने रामशिला के हनुमान मंदिर आएंगे। हिडिम्बा माता के कुल्लू पहुंचते ही अंतरराष्ट्रीय दशहरे की शुरुआत हो जाएगी।
दुनियाभर में प्रसिद्ध है माता हिडिंबा मंदिर
महाभारत के महाबली भीम की पत्नी और कुल्लू राजवंश की कुलदेवी माता हिडिंबा का मंदिर देश व दुनिया में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों देशी विदेशी पर्यटक माता हिडिंबा से सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेते हैं। यहां पर भीम के पुत्र घटोत्कच का भी मंदिर है।