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निर्यात पर लगी रोक हटाना ही है स्थायी समाधान – भूपेंद्र - badhteqadam
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निर्यात पर लगी रोक हटाना ही है स्थायी समाधान – भूपेंद्र

सरकाघाट। आवारा पशुओं के कारण जहां किसानों को उनकी फसलें बर्बाद होने का नुक़सान हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर इनके कारण सड़कों पर यातायात प्रभावित हो रहा है। यहीं नहीं सड़क पर इन पशुओं के जमघट के कारण कई हादसे भी हो रहे हैं। पिछले दिनों सरकाघाट के डबरोग निवासी 30 वर्षीय आशीश चंदेल जो पुलिस विभाग में सेवारत थे। उनकी बाईक के आगे ख़ुड्ला के पास एक बैलों के झुंड में स्किड होने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गये थे और उसके बाद चार दिन पहले उनकी मौत हो गई थी। इसी प्रकार पिछले कल भोटा के पास रसोई गैस सिलेंडरों से भरा ट्रक भी इन्ही आवारा पशुओं के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस प्रकार अनेकों ऐसे दुर्घटनाओं में हादसे हर रोज़ अलग-अलग जगहों पर हो रहे हैं, जिनमें लोगों की जानें भी जा रही है। सड़कों पर इस कारण हर रोज़ जगह-जगह जाम लगा रहता है। लेकिन इन आवारा पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान न तो गत भाजपा सरकार ने किया था और न ही वर्तमान सुखू सरकार कुछ कर रही है। पूर्व भाजपा सरकार ने तो इसे धार्मिक रंग देकर इनके निर्यात पर ही रोक लगा दी थी, जिससे ये समस्या और ज़्यादा बढ़ी है।

ये बात हिमाचल किसान सभा ने कही और सरकार से इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने की मांग की है। सभा के खण्ड अध्यक्ष रणताज राणा, बाला राम, दिनेश काकू, रामचन्द ठाकुर, करतार सिंह, बलदेव सिंह इत्यादि ने सरकार से इस गम्भीर समस्या को हल करने का स्थायी समाधान करने की मांग की है। पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने इस समस्या को बढ़ाने में उन धार्मिक संगठनों को भी जिम्मेदार ठहराया है, जो इनके दूसरे राज्यों में निर्यात पर लगातार रोक लगाने की मांग करते रहे हैं और उन्हीं के दबाब में पूर्व भाजपा सरकार ने इनको दूसरे राज्यों में भेजने पर रोक लगा दी थी। तो वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी जारी रखी हुई है और ये आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं और जनता का नुक़सान कर रहे हैं जिसमें जानें भी जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के सरौंन, टिहरा, धर्मपुर, संधोल और सरकाघाट-बरछवाड़ में इनकी तादात दिन-प्रतिदिन बहुत ज्यादा होती जा रही है।हालांकि, इस विधानसभा क्षेत्र के संधोल, नाल्ड-लौंगनी और डली-बरछवाड़ में गौसदन भी बने हुए हैं लेकिन आवारा पशुओं की संख्या के अनुपात में इनकी क्षमता बहुत कम है और इनके संचालन में भी बहुत ज्यादा दिक्क़तें पेश आ रही है। हिमाचल किसान सभा व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने सरकार से इस समस्या को प्राथमिकता पर हल करने की मांग की है और ये भी मांग उठाई है कि इसका स्थायी समाधान इन्हें दूसरे राज्यों को निर्यात करने से ही संभव है जिसके लिए सरकार को निर्णय लेना चाहिए। किसी वक़्त ये बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ करता था लेकिन अब सरकार और प्रशासन ने इस समस्या से मुहं मोड़ लिया है और अब हर जगह इन आवारा पशुओं के झुंड सड़कों पर घूम रहे हैं और हर रोज़ कोई न कोई हादसा होने का कारण बनते हैं। इसलिए सरकार को इस समस्या के हल के लिए ठोस नीति बनाकर इसका हल करना चाहिए।

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